इंदौर / कलर प्रिंटर के जरिये दो तरीकों से बनाते थे नकली नोट, किराए के घर में चल रही थी प्रिंटिंग प्रेस

आरोपी एक पेज पर तीन असली नोट चिपकाते थे। फिर पेज का कलर प्रिंटआउट निकालते। उसे बल्ब के लाइट में देखते और कागज के दूसरे हिस्से पर एक-एक जगह निशान लगा लेते कि कहां, क्या प्रिंट करना है। एक कागज पर तीन नोट छप जाते तो कटर के माध्यम से असली नोट के बराबर उसकी कटिंग कर देते। टोनर और कलर से प्रिंट नोट को चमकाते, फिर गांधीजी की वाटरमार्क की इमेज बना देते। दूसरा तरीका इनका नोट को स्कैन कर मार्जिन सेट करके आगे-पीछे की साइड की कॉपी करने का था। इसका वे प्रिंट आउट निकाल लेते थे।  
 


गिरोह का सरगना फरार, गुजरात में भी नकली नोट बना चुका
गिरोह का सरगना सुनील फरार है। वह गुजरात में भी नकली नोट बना चुका है और पश्चिम बंगाल के एक गिरोह से जुड़ा है। पहले भी ये इसी मामले में जेल जा चुका है। वहां इसकी दोस्ती अकरम के पिता रमजान से हुई और दोनों ने नकली नोट छापने का काम शुरू किया। छह महीने से ये नोट छाप रहे थे।


फिरोज परदेशीपुरा में किराए के मकान में ये नोट छापता था। उसके घर से प्रिटिंग मशीन, फर्म पर कलर फैलाने वाले वाईपर, कागज का बंडल, पेपर की शीट, कम्प्यूटर मॉनिटर जब्त हुए। यहां एक डिब्बे में हरी पॉलिथीन कटी हुई मिली, जिसका उपयोग ये नकली नोट में आने वाली हरी पट्टी डालने के लिए करते थे।


इसके अलावा डिब्बे में ट्रेस पेपर व बटर पेपर, गांधीजी के वाटरमार्क के नोट के पैम्फलेट, 2000 नोटों की कीमत का वाटरमार्क, 10 कटर के पैकेट, एक पेपर कटर मशीन,  फोटो कॉपी स्कैनर, प्रिंटर तथा लोहे की कैबिनेट, जिसका प्रयोग नोट की गाडियों को कंप्रैस करने में होता था, भी मिले। जिस मकान में ये काम हो रहा था, वह श्रीराम गुप्ता का है। आईजी ने गिरोह को पकड़ने वाली टीम को 30 हजार रुपए का इनाम दिया है। 


फिरोज परदेशीपुरा में किराए के मकान में ये नोट छापता था। उसके घर से प्रिटिंग मशीन, फर्म पर कलर फैलाने वाले वाईपर, कागज का बंडल, पेपर की शीट, कम्प्यूटर मॉनिटर जब्त हुए। यहां एक डिब्बे में हरी पॉलिथीन कटी हुई मिली, जिसका उपयोग ये नकली नोट में आने वाली हरी पट्टी डालने के लिए करते थे। इसके अलावा डिब्बे में ट्रेस पेपर व बटर पेपर, गांधीजी के वाटरमार्क के नोट के पैम्फलेट, 2000 नोटों की कीमत का वाटरमार्क, 10 कटर के पैकेट, एक पेपर कटर मशीन,  फोटो कॉपी स्कैनर, प्रिंटर तथा लोहे की कैबिनेट, जिसका प्रयोग नोट की गाडियों को कंप्रैस करने में होता था, भी मिले। जिस मकान में ये काम हो रहा था, वह श्रीराम गुप्ता का है। आईजी ने गिरोह को पकड़ने वाली टीम को 30 हजार रुपए का इनाम दिया है।



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